जंगल में नदी के पास बंदरों की कहानी
परिचय
एक घने जंगल के बीचों-बीच एक सुंदर, शीतल नदी बहती थी। यह नदी जंगल के सभी प्राणियों के लिए जीवन का स्रोत थी। नदी के किनारे पर एक बड़ा पीपल का पेड़ खड़ा था, जिसकी हरी-भरी शाखाएँ दूर-दूर तक फैली हुई थीं। इस पेड़ पर बंदरों का एक झुंड रहता था। ये बंदर बहुत ही चंचल, शरारती और मिलनसार थे। उनका दिनभर का काम था पेड़ों पर झूलना, फलों का आनंद लेना और नदी के किनारे खेलना।
मोंटी बंदर की शरारत
बंदरों के इस झुंड में एक बंदर था जिसका नाम मोंटी था। मोंटी सबसे ज्यादा शरारती और नटखट था। वह हमेशा अपने दोस्तों के साथ नई-नई शरारतें करता और नदी के पास जाकर मछलियों को छेड़ता। वह अक्सर अपनी चपलता से बाकी जानवरों को हैरान कर देता था। उसका सबसे अच्छा दोस्त चिंपू नाम का एक और बंदर था, जो मोंटी के साथ हर शरारत में शामिल होता था।
नदी के किनारे का खेल
एक दिन मोंटी और चिंपू अपने बाकी बंदर दोस्तों के साथ नदी के किनारे खेलने गए। उन्होंने पेड़ों से कूदना, पानी में पत्थर फेंकना और मछलियों को पकड़ने की कोशिश करना शुरू कर दिया। मोंटी ने सबको कहा, "चलो देखते हैं कि कौन सबसे ज्यादा ऊँचा कूद सकता है!" और फिर शुरू हुआ ऊँचाई में छलांग लगाने का मुकाबला। सभी बंदर अपने-अपने तरीके से ऊँची छलांग लगाने की कोशिश करने लगे।
मोंटी ने सबसे ऊँची शाखा से छलांग लगाई और सीधा नदी के बीचों-बीच पानी में जा गिरा। सब बंदर जोर-जोर से हँसने लगे, और मोंटी भी पानी से बाहर आकर हँसने लगा। लेकिन तभी चिंपू ने देखा कि नदी का बहाव बहुत तेज हो गया है। उसने बाकी बंदरों को चेतावनी दी, "हमें अब वापस चलना चाहिए, नदी का बहाव तेज हो रहा है।"
नदी का खतरनाक बहाव
नदी का बहाव सच में तेज होने लगा था। सभी बंदर जल्दी-जल्दी पेड़ों पर चढ़ने लगे, लेकिन मोंटी ने सोचा कि वह तेज बहाव के बावजूद थोड़ी देर और खेल सकता है। उसने पानी में छलांग लगाई और बहाव के साथ तैरने लगा। लेकिन कुछ ही देर में मोंटी को एहसास हुआ कि पानी का बहाव उसकी ताकत से कहीं ज्यादा तेज हो गया है। अब वह वापस तैर नहीं पा रहा था।
मोंटी की मुसीबत और चिंपू की मदद
मोंटी को जब खतरे का एहसास हुआ, तो उसने मदद के लिए चिल्लाना शुरू कर दिया, "बचाओ! मैं फँस गया हूँ!" चिंपू ने तुरंत मोंटी की आवाज सुनी और बिना सोचे-समझे पानी में कूद गया। बाकी बंदर डर गए, लेकिन चिंपू ने मोंटी को बचाने का ठान लिया था। उसने एक लंबी डाल तोड़ी और उसे मोंटी की ओर बढ़ाया। मोंटी ने डाल को मजबूती से पकड़ा और चिंपू ने पूरी ताकत से उसे खींचना शुरू किया।
काफी कोशिश के बाद, चिंपू ने मोंटी को पानी से बाहर निकाला। दोनों बहुत थक गए थे, लेकिन सुरक्षित थे। बाकी बंदरों ने उनकी बहादुरी की तारीफ की। मोंटी ने चिंपू का धन्यवाद किया और वादा किया कि वह अब कभी लापरवाही नहीं करेगा।
सीख
इस घटना के बाद, मोंटी ने समझा कि शरारत और खेल भी तब तक अच्छे हैं जब तक वे सुरक्षित हैं। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने सीखा कि हमें कभी भी प्रकृति की ताकत को हल्के में नहीं लेना चाहिए। मोंटी ने अपने दोस्तों से कहा, "हमेशा अपनी सीमाएँ जाननी चाहिए और कभी भी खतरे को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।"
निष्कर्ष
जंगल में नदी के पास बंदरों की इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि दोस्ती और साहस का महत्व क्या होता है। चिंपू ने अपने दोस्त मोंटी की जान बचाने के लिए बहादुरी दिखाई, और मोंटी ने अपनी गलती से सीख लेकर समझदारी दिखाई। यह कहानी बताती है कि खेल-कूद और शरारतों का मज़ा तभी तक अच्छा है जब तक हम अपनी और दूसरों की सुरक्षा का ध्यान रखें।
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