कहानी: "चाँद और तारों की दोस्ती"

बहुत समय पहले की बात है। आकाश में चाँद अकेला रहता था। वह हर रात चमकता, आसमान को रौशन करता, लेकिन दिल ही दिल में बहुत उदास था। उसके पास बातें करने वाला कोई नहीं था।

एक रात, जब बादल नहीं थे और आसमान एकदम साफ़ था, चाँद ने लंबी सांस ली और कहा,
“काश कोई होता जिससे मैं अपने दिल की बात कह पाता...”

उसकी बात सुनकर पास ही चमक रहे कुछ छोटे-छोटे तारे मुस्कुराए। एक तारा बोला,
“क्यों चाँद भाई, हम हैं न! हमसे बात क्यों नहीं करते?”

चाँद चौंका, “तुम लोग मुझसे बात कर सकते हो?”

सब तारे एक साथ बोले, “हाँ! हम हर रात तुम्हारे साथ रहते हैं, पर तुम ही चुप रहते हो।”

उस दिन से चाँद और तारे रोज़ बातें करने लगे। चाँद उन्हें अपने दुख सुनाता – कभी उसे अकेलापन लगता, कभी वह सोचता कि धरती पर लोग उसे देख तो लेते हैं, पर कोई उसके पास नहीं आ सकता।

तारे चाँद को हँसाते, उसकी बातों पर ताली बजाते, और कभी-कभी मिलकर आकाश में खेल भी खेलते – जैसे “छुपन-छुपाई” और “तेज चमक कौन”।

धीरे-धीरे चाँद की उदासी दूर हो गई। अब वह हर रात चमकता है, मगर अकेले नहीं – उसके साथ होते हैं सैकड़ों तारें, उसकी सबसे प्यारी दोस्तें।

एक दिन धरती पर एक बच्चा चाँद की ओर देखकर बोला,
“माँ, चाँद आज कितना खुश लग रहा है!”

माँ ने मुस्कुराकर कहा,
“क्योंकि उसे अब तारे मिल गए हैं – सच्चे दोस्त जो उसकी हर रात रौशन करते हैं।”

सीख:
सच्ची दोस्ती अकेलेपन को भी रौशनी में बदल देती है। जैसे चाँद और तारों की दोस्ती ने आसमान को सुंदर बना दिया, वैसे ही दोस्त हमारी दुनिया को खूबसूरत बनाते हैं।