जंगल में नदी किनारे मगरमच्छ और जानवरों की कहानी

बहुत समय पहले की बात है। एक घना जंगल था, और उस जंगल के बीचों-बीच बहती थी एक सुंदर, साफ और गहरी नदी। नदी के किनारे कई जानवर रहते थे — हिरण, बंदर, हाथी, खरगोश और पक्षी। लेकिन उसी नदी में रहता था एक चालाक मगरमच्छ।

🌊 मगरमच्छ की चालाकी

मगरमच्छ बूढ़ा हो चला था और अब उसे शिकार करने में मेहनत लगती थी। एक दिन उसने सोचा,
"अगर मैं जानवरों से दोस्ती कर लूं, तो वे खुद ही मेरे पास आएंगे। मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।"

उसने नदी के किनारे बैठकर रोने का नाटक किया। यह देखकर एक नन्हा खरगोश पास आया और बोला,
"मगरमच्छ भैया, आप क्यों रो रहे हैं?"

मगरमच्छ बोला,
"मुझे बहुत अकेलापन लगता है। कोई दोस्त नहीं है, कोई बात करने वाला नहीं।"

खरगोश को दया आ गई और उसने बाकी जानवरों से कहा कि मगरमच्छ अब अच्छा हो गया है।

🐘 जानवरों की मित्रता

धीरे-धीरे मगरमच्छ की दोस्ती जंगल के कई जानवरों से हो गई। वे नदी किनारे आकर उसके साथ बातें करते, फल खिलाते और कभी-कभी नहाते भी। मगरमच्छ को लगा उसकी चाल सफल हो रही है।

एक दिन उसने योजना बनाई कि वह एक मोटे हिरण को धोखे से पकड़कर खा जाएगा। उसने हिरण से कहा,
"भाई, आज नदी के बीच में बहुत मीठे फल बहकर आए हैं, चलो तुम्हें दिखाऊं।"

🕵️‍♂️ चतुर बंदर की समझदारी

लेकिन एक बंदर ये सब दूर से देख रहा था। उसे मगरमच्छ की चाल में कुछ गड़बड़ लगी। उसने हिरण को रोक लिया और बोला,
"तू मगरमच्छ के साथ पानी में मत जा। वो तुझे धोखा दे सकता है।"

हिरण मान गया और मगरमच्छ से कहा,
"आज मेरा पेट भरा है, कल चलेंगे।"

जब सभी जानवरों को शक हुआ, तो उन्होंने एक योजना बनाई। हाथी ने नदी किनारे गड्ढा खुदवाया और मगरमच्छ को बाहर बुलाया। जैसे ही मगरमच्छ ज़मीन पर आया, वह उस गड्ढे में गिर गया और बाहर नहीं निकल पाया।

🌟 सीख / नैतिक शिक्षा:

"धोखा देकर कभी सच्ची दोस्ती नहीं पाई जा सकती। चालाकी हमेशा पकड़ी जाती है।"

उस दिन के बाद से जंगल के सभी जानवरों ने एक-दूसरे पर भरोसा करना और मिल-जुलकर रहना सीख लिया। मगरमच्छ को भी अपनी गलती का पछतावा हुआ।