कहानी का नाम: "दो किसानों की समझदारी"
एक गाँव में रामू और श्यामू नाम के दो किसान रहते थे। दोनों के पास बराबर ज़मीन थी और दोनों ही मेहनती थे। लेकिन उनके सोचने और काम करने के तरीके अलग थे।
रामू हर सुबह सूरज उगने से पहले खेत में पहुँच जाता, मिट्टी की जाँच करता, सही समय पर बीज बोता और फसलों की देखभाल करता। वह अपने खेत में बरगद और आम का पेड़ भी लगाए था, ताकि छाया रहे और मिट्टी ठंडी बनी रहे।
श्यामू भी मेहनती था, लेकिन वह दूसरों की नकल करता। जब कोई कहता कि आज खाद डालनी चाहिए, तभी वह करता। वह अक्सर कहता, “जैसा सब कर रहे हैं, वैसा मैं भी करूँगा।”
फसल का समय आया
कुछ महीने बाद खेतों में फसलें लहराने लगीं। रामू के खेत में गेहूँ की बालियाँ सुनहरी होकर झूम रही थीं, और उसके आम के पेड़ पर भी फल लगने लगे थे। खेत के किनारे उसकी पत्नी और बच्चे भी साथ काम कर रहे थे।
श्यामू के खेत में भी फसल हुई, लेकिन कई जगह फसल सूखी हुई थी, क्योंकि उसने सही समय पर पानी नहीं दिया था और फसल बदलने का सोच भी नहीं किया था।
सीख मिली
अंत में
श्यामू ने बात समझ ली। अगले साल से उसने भी अपने खेत में आम, केले और जामुन के पेड़ लगाए ताकि वह खेत में विविधता ला सके। अब दोनों किसान साथ मिलकर खेती करते हैं – एक दूसरे से सीखते हैं और गाँव के लोगों को भी सिखाते हैं।
शिक्षा:
सिर्फ मेहनत नहीं, समझदारी और प्रकृति से मेल ही खेती की असली कुंजी है।
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