कहानी का नाम: "जंगल की एकता"

एक बार की बात है, एक घना जंगल था जिसमें एक पुराना बरगद का पेड़ और एक बड़ा आम का पेड़ पास-पास खड़े थे। इन पेड़ों पर बहुत-सी चिड़ियाँ अपना घोंसला बनाकर रहती थीं। चिड़ियाँ दिनभर पेड़ों की डालियों पर चहचहातीं, उड़तीं और मिलकर फल खाती थीं।

इन्हीं पेड़ों के पास ही एक हाथी, एक भालू और एक हिरण भी रहते थे। तीनों जानवर अच्छे दोस्त थे और हर दिन मिलकर बातें करते, पानी पीने नदी जाते और जंगल की देखभाल करते।

समस्या आई

एक दिन जंगल में कुछ लोग पेड़ों को काटने आ गए। उन्होंने कहा, “यहाँ हम एक सड़क बनाएँगे।” सारे जानवर डर गए। चिड़ियाँ घबराईं कि अगर पेड़ काट दिए गए तो उनका घर चला जाएगा। हाथी चिंतित था कि जंगल उजड़ जाएगा। भालू और हिरण भी परेशान थे।

सभी ने मिलकर योजना बनाई

चिड़ियों ने मिलकर उड़-उड़ कर जंगल के सभी जानवरों को बुलाया। हाथी ने अपनी भारी आवाज में सबको समझाया कि हमें मिलकर अपने जंगल को बचाना होगा।

भालू ने नारा दिया: "हमारा जंगल, हमारा घर!"
हिरण ने जंगल की सीमा पर निगरानी रखी, ताकि कोई पेड़ काटने न आए।

चिड़ियाँ हर सुबह मिलकर इंसानों के डेरा डालने की जगह पर शोर मचातीं। हाथी ने रास्ते के पत्थर हटा दिए ताकि गाड़ियाँ न आ सकें। भालू ने जंगल के दरवाजे पर "जंगल बचाओ" के निशान बना दिए।

अंत में जीत हुई

कुछ दिनों बाद, पेड़ काटने आए लोग वापस चले गए। उन्होंने देखा कि जानवर और पक्षी कितनी एकता से अपने जंगल की रक्षा कर रहे हैं। उन्होंने सरकार को बताया कि यहाँ एक सुंदर, जीवंत जंगल है जिसे छेड़ना ठीक नहीं होगा।

जंगल बच गया, और सबने मिलकर खुशी मनाई। उस दिन से जंगल में हर साल "जंगल बचाओ दिवस" मनाया जाने लगा, जिसमें चिड़ियाँ गाना गातीं, हाथी झूमता, भालू मिठाई बाँटता और हिरण नाचता।