कहानी का नाम: "परिंदों की दोस्ती और पहाड़ी रहस्य"
(एक रंग-बिरंगे जंगल की कहानी)

बहुत समय पहले की बात है। पहाड़ों के बीच बसा एक सुंदर, हरा-भरा जंगल था। उस जंगल में एक शांत नदी बहती थी, जिसके किनारे रंग-बिरंगे पेड़ और झरने थे। उन पेड़ों पर ढेर सारे पक्षी रहते थे—तोता, मैना, बुलबुल, और चील। वे सभी बहुत अच्छे दोस्त थे।

हर सुबह जैसे ही सूरज निकलता, सभी पक्षी नदियों के पास एक बड़े पीपल के पेड़ पर जमा हो जाते और मीठे गीत गाते। यह पेड़ बहुत ही खास था—कहते हैं उसमें एक जादू था। जो भी उस पेड़ के पास बैठकर सच्चे दिल से कोई बात करता, उसकी मन की बात पूरी होती।

एक दिन, जंगल में तेज़ तूफान आया। पानी इतना गिरा कि पेड़ों की शाखाएँ टूट गईं और पहाड़ों से मिट्टी फिसलने लगी। पक्षी डर गए और उड़कर एक गुफा में छिप गए। पर चील ने देखा कि वह पुराना पीपल का पेड़ अब खतरे में है, उसकी जड़ें ढीली हो गई हैं।

तोते ने कहा, "हमें कुछ करना चाहिए, वरना हमारा दोस्त पेड़ गिर जाएगा।"
मैना बोली, "हम सब मिलकर इसे बचा सकते हैं।"
खरगोश, जो पास ही पहाड़ी की गुफा में रहता था, दौड़ता हुआ आया और बोला, "मैंने नीचे बहती नदी का रास्ता देखा है। हम उस पानी को मोड़ सकते हैं ताकि पेड़ की जड़ें मजबूत हो जाएं।"

सभी पक्षी मिलकर उड़ने लगे, पत्तों और शाखाओं से रास्ता बंद किया और पानी को सही दिशा में मोड़ दिया। धीरे-धीरे, पीपल की जड़ें फिर से गीली हो गईं और वह मजबूती से खड़ा हो गया।

तूफान के बाद, जब सब कुछ शांत हुआ, पक्षी फिर से पेड़ पर जमा हुए और गीत गाने लगे। सूरज की किरणें पहाड़ों से टकराकर पेड़ पर चमक रही थीं और पूरा जंगल सुनहरी रौशनी से नहा रहा था।

सीख:
सच्ची दोस्ती और मिलजुल कर काम करने से कोई भी मुसीबत बड़ी नहीं होती।