जंगल में शेर, भेड़िया और मगरमच्छ की कहानी

परिचय

एक घना और रहस्यमयी जंगल था, जहाँ कई तरह के जानवर रहते थे। इस जंगल का राजा शेर था, जिसका नाम था राजा शेरू। वह बहुत ताकतवर और बुद्धिमान था। शेरू जंगल के सभी जानवरों का ध्यान रखता था और जब भी कोई समस्या होती, तो वह उसे हल करता था।

लेकिन जंगल के एक हिस्से में, नदी के पास, एक भयानक मगरमच्छ रहता था। उसका नाम था गज्जू। गज्जू हमेशा नदी के पास ही रहता था और उसके पास जाने की हिम्मत कोई जानवर नहीं करता था, क्योंकि वह बहुत खतरनाक था।

वहीं, जंगल के दूसरे छोर पर भेड़ियों का एक झुंड भी रहता था, जिसका नेता भेड़िया था। उसका नाम था कालू, जो चालाक और धूर्त था। वह हमेशा अपने झुंड के लिए खाना ढूँढने और जंगल पर कब्जा करने की योजना बनाता रहता था।

भेड़िया और मगरमच्छ की साजिश

कालू भेड़िया और गज्जू मगरमच्छ दोनों शेरू से जलते थे, क्योंकि शेरू जंगल का राजा था और सभी जानवर उसकी इज्जत करते थे। एक दिन, कालू ने सोचा, "अगर मैं और गज्जू मिलकर शेरू को हरा दें, तो हम इस जंगल पर राज कर सकते हैं।"

वह गज्जू से मिलने गया और बोला, "गज्जू, अगर हम दोनों मिलकर काम करें, तो शेरू को हरा सकते हैं। तुम नदी के पास का हिस्सा ले लेना और मैं जंगल का बाकी हिस्सा।"

गज्जू ने पहले तो सोचा, लेकिन फिर उसे यह विचार पसंद आया और उसने हामी भर दी। अब दोनों ने मिलकर शेरू को हटाने की योजना बनाई।

शेरू को चुनौती

कालू और गज्जू ने शेरू को चुनौती दी और कहा, "हम भी इस जंगल के हिस्सेदार हैं। अब तुम अकेले राजा नहीं हो सकते। हमें भी इस जंगल पर राज करना है।"

शेरू ने उनकी चुनौती सुनी और कहा, "अगर तुम्हें इस जंगल पर राज करना है, तो तुम मुझे मुकाबले में हराओ। जो भी यह मुकाबला जीतेगा, वही इस जंगल का असली राजा होगा।"

मुकाबले का दिन तय हुआ और पूरे जंगल में इसकी खबर फैल गई। सभी जानवर जानना चाहते थे कि कौन जीतेगा—शेर, भेड़िया, या मगरमच्छ।

मुकाबले की शुरुआत

मुकाबले के दिन, शेरू, कालू भेड़िया और गज्जू मगरमच्छ एक बड़े मैदान में मिले। जंगल के सारे जानवर इस मुकाबले को देखने के लिए जमा हो गए थे।

पहला मुकाबला गज्जू और शेरू के बीच हुआ। गज्जू अपनी ताकत के बल पर नदी के पास से शेरू पर हमला करने लगा। मगर शेरू भी बहुत तेज और ताकतवर था। उसने गज्जू को अपनी तेज पंजों से पीछे धकेल दिया। गज्जू बार-बार पानी में घुसकर हमला करने की कोशिश करता, लेकिन शेरू की ताकत के आगे वह टिक नहीं पाया और अंततः हार मान ली।

अब कालू भेड़िया की बारी थी। वह शेरू से लड़ाई करने के बजाय चालाकी से उसे थकाने की योजना बना रहा था। वह इधर-उधर भागने लगा, ताकि शेरू को दौड़ाकर थकाया जा सके। लेकिन शेरू को उसकी चाल समझ आ गई। उसने चुपचाप इंतजार किया और जब कालू ने शेरू पर हमला करने की कोशिश की, तो शेरू ने झपटकर उसे जमीन पर पटक दिया।

शेरू की जीत और सच्चाई की जीत

मुकाबले के बाद, गज्जू मगरमच्छ और कालू भेड़िया ने अपनी हार मान ली। शेरू ने उन्हें मारने की बजाय उन्हें समझाया, "जंगल पर राज करने के लिए ताकत से ज्यादा समझदारी, एकता और जिम्मेदारी की जरूरत होती है। अगर हम आपस में लड़ेंगे, तो इस जंगल को नुकसान होगा। हमें मिलकर काम करना चाहिए, ताकि जंगल के सभी जानवर सुरक्षित रहें।"

गज्जू और कालू को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने शेरू से माफी माँगी। शेरू ने उन्हें माफ कर दिया और कहा, "अब से हम सब मिलकर इस जंगल की रक्षा करेंगे।"

सीख

इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि ताकतवर होना ही काफी नहीं है, बल्कि समझदारी और एकता भी बहुत जरूरी है। शेरू ने अपनी ताकत और बुद्धिमानी से न सिर्फ मुकाबला जीता, बल्कि जंगल में शांति और सहयोग भी कायम किया।