मोटू हाथी और आलसी बंदर की मजेदार कहानी

 मोटू हाथी और आलसी बंदर की मजेदार कहानी

परिचय

एक घने जंगल में कई जानवर रहते थे, जिनमें से दो खास थे - "मोटू हाथी" और "आलसी बंदर" मोटू हाथी एक बहुत बड़ा और ताकतवर हाथी था, जो हमेशा जंगल के कामों में मदद करता और मेहनत करता था। वहीं, आलसी बंदर बहुत शरारती और मस्तमौला था, लेकिन उसमें एक बुरी आदत थीवह कामचोर और आलसी था। उसकी सबसे बड़ी खासियत यही थी कि उसे कुछ भी करने का मन नहीं करता था।

मोटू हाथी की मेहनत

मोटू हाथी जंगल का सबसे मेहनती जानवर था। वह हर सुबह जल्दी उठता, पेड़ों से पत्ते तोड़कर खाता, जंगल के रास्तों की सफाई करता, और अगर किसी जानवर को मदद की जरूरत होती, तो वह हमेशा तैयार रहता था। उसकी मेहनत और ताकत से जंगल के जानवर बहुत खुश रहते थे। मोटू हाथी निस्वार्थ भाव से सबकी मदद करता, चाहे काम कितना भी बड़ा हो।

आलसी बंदर की मस्ती

दूसरी तरफ, आलसी बंदर सारा दिन पेड़ की ऊँची शाखाओं पर लेटा रहता था और अपने आलस का मजा लेता था। उसे पेड़ों से फल तोड़कर खाने में भी आलस आता था, और वह तब तक इंतजार करता, जब तक फल खुद गिरकर उसके पास जाए। बाकी जानवर उसकी इस आलसी आदत को देखकर उसे चिढ़ाते थे, लेकिन वह किसी की बात की परवाह नहीं करता था। आलसी बंदर का मानना था कि ज़िंदगी का असली आनंद आराम करने में है।

दोस्तों के बीच असंतुलन

मोटू और आलसी बंदर अच्छे दोस्त थे, लेकिन उनकी आदतें बिलकुल विपरीत थीं। एक दिन मोटू हाथी ने बंदर से कहा, "बंदर, तुम हमेशा आराम करते हो। तुम्हें भी कभी-कभी काम करना चाहिए। अगर तुम ऐसे ही आलसी बने रहोगे, तो एक दिन बड़ी मुश्किल में पड़ जाओगे।"

बंदर ने हँसते हुए जवाब दिया, "अरे मोटू, तुम बेकार ही इतनी मेहनत करते हो। देखो, मैं कितना आराम से हूँ। मुझे किसी चीज़ की कमी नहीं होती और ही मुझे इतनी मेहनत करने की ज़रूरत है।"

मोटू की चुनौती

मोटू हाथी ने बंदर की आलसी आदतों से तंग आकर उसे एक चुनौती दी। उसने कहा, "ठीक है, अगर तुम एक दिन मेहनत करके दिखाओ, तो मैं तुम्हें जंगल के सबसे स्वादिष्ट फल दूँगा। लेकिन अगर तुम हार गए, तो तुम्हें मेरी हर बात माननी होगी और अपना आलस छोड़ना होगा।"

बंदर ने सोचा कि एक दिन की मेहनत से कुछ नहीं होगा और उसे स्वादिष्ट फल मिल जाएगा, तो वह यह चुनौती मान गया।

मेहनत का दिन

अगले दिन सुबह, मोटू और बंदर दोनों जंगल के काम पर निकले। सबसे पहले मोटू हाथी ने बंदर से कहा, "अब तुम इस पेड़ से फल तोड़ो और खाओ।" बंदर ने फल तोड़ने की कोशिश की, लेकिन थोड़ी ही देर में वह थक गया। उसे फल तोड़ना आसान नहीं लगा। फिर मोटू ने उसे कहा कि वह नदी के किनारे से पानी भरकर लाए। बंदर ने बाल्टी उठाई, लेकिन वह ज्यादा देर तक पानी नहीं भर सका। उसके छोटे-छोटे हाथ जल्दी ही थक गए।

अंतिम चुनौती

अब मोटू ने आखिरी काम के रूप में बंदर को जंगल के रास्ते साफ करने को कहा। बंदर ने इसे भी करने की कोशिश की, लेकिन कुछ ही समय में उसकी सांस फूलने लगी। वह पेड़ की छाँव में लेट गया और बोला, "मुझे अब समझ में आया कि मेहनत करना कितना मुश्किल है। मैं इतनी जल्दी थक गया और कुछ भी ठीक से नहीं कर पाया।"

सीख और दोस्ती का महत्व

बंदर ने आखिरकार यह मान लिया कि आलस से कुछ हासिल नहीं होता और मेहनत करना जरूरी है। उसने मोटू से माफी माँगी और कहा, "मुझे समझ में गया कि बिना मेहनत के कुछ नहीं मिलता। अब मैं आलसी नहीं रहूँगा और तुम्हारी तरह मेहनत करना सीखूँगा।"

मोटू ने बंदर की बात सुनकर उसे गले लगाया और कहा, "देखो, मेहनत ही जीवन का असली आनंद है। आराम करना बुरा नहीं है, लेकिन बहुत ज्यादा आराम जीवन को बेकार बना देता है।"

निष्कर्ष

मोटू हाथी और आलसी बंदर की इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि मेहनत से जीवन में संतुष्टि और सफलता मिलती है, जबकि आलसीपन हमें पीछे खींच लेता है। मेहनत करने वाले हमेशा सम्मान पाते हैं, और उन्हें दूसरों की मदद करने का भी मौका मिलता है। बंदर ने अपनी आलसी आदतें छोड़कर मेहनत करने का वादा किया, और दोनों दोस्तों ने मिलकर एक नई शुरुआत की।

 

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