भेड़िया और गाँव की कहानी
परिचय
एक
समय की
बात है,
एक छोटे
से गाँव
के पास
घना जंगल
था। गाँव
के लोग
मेहनती और
सीधे-सादे
थे। वे
दिनभर खेतों
में काम
करते और
रात में
चैन से
सोते थे।
इस गाँव
के लोगों
का मुख्य
काम खेती
और पशुपालन
था। गाँव
में सभी
के पास
गाय-भैंस,
बकरियाँ और
भेड़ें थीं,
जिन्हें वे
जंगल के
किनारे चरने
के लिए
छोड़ते थे।
लेकिन उस
जंगल में
एक खतरनाक
भेड़िया भी
रहता था,
जिसकी वजह
से गाँव
के लोग
हमेशा सतर्क
रहते थे।
गाँव में
भेड़िए
का
डर
गाँव
वालों को
भेड़िए से
डर था,
क्योंकि वह
अक्सर रात
को गाँव
में घुस
आता और
उनकी बकरियों
या भेड़ों
का शिकार
कर जाता।
गाँव के
लोग इस
समस्या से
बहुत परेशान
थे, लेकिन
वे भेड़िए
का कुछ
भी नहीं
कर पा
रहे थे।
गाँव के
मुखिया ने
कई बार
गाँव वालों
को चेतावनी
दी थी
कि रात
में अपने
जानवरों को
सुरक्षित जगह
पर रखें,
लेकिन कई
बार जानवर
जंगल में
ही रह
जाते थे,
और तभी
भेड़िया हमला
कर देता।
गाँव का
बहादुर
लड़का
- राजू
गाँव
में एक
युवा लड़का
था, जिसका
नाम राजू
था। वह
बहुत बहादुर
और समझदार
था। उसने
ठान लिया
था कि
वह गाँव
को भेड़िए
के आतंक
से मुक्त
कराएगा। राजू
ने देखा
कि गाँव
वाले सिर्फ
भेड़िए से
डरते हैं
और कुछ
नहीं करते।
उसने मुखिया
से कहा,
"हम
सब मिलकर
अगर एक
योजना बनाएं,
तो भेड़िए
को हमेशा
के लिए
भगा सकते
हैं। हमें
डरने की
जरूरत नहीं
है, बल्कि
सावधानी और
समझदारी से
काम लेना
होगा।"
राजू की
योजना
राजू
ने गाँव
वालों को
एक योजना
बताई। उसने
कहा, "हम
एक बड़ा
मजबूत बाड़ा
बनाएँगे, जहाँ
हम रात
के समय
सभी जानवरों
को रखेंगे।
बाड़े के
चारों ओर
काँटों की
बाड़ और
लकड़ी के
मोटे खंभे
लगाएंगे ताकि
भेड़िया अंदर
न घुस
सके। इसके
अलावा, हम
पहरेदारी भी
करेंगे, जिससे
भेड़िया अगर
आए तो
हमें पहले
से पता
चल जाए।"
गाँव
वाले राजू
की योजना
से सहमत
हो गए
और सभी
ने मिलकर
बाड़ा बनाने
का काम
शुरू कर
दिया। कुछ
ही दिनों
में एक
मजबूत बाड़ा
तैयार हो
गया, जिसमें
सभी जानवरों
को रात
के समय
रखा जाता
था। राजू
और गाँव
के कुछ
बहादुर युवक
रात में
पहरा भी
देते थे।
भेड़िए का
हमला
कुछ
दिन बाद,
एक रात
भेड़िया फिर
गाँव के
पास आया।
उसने सोचा
कि वह
आसानी से
गाँव में
घुसकर जानवरों
का शिकार
कर लेगा,
लेकिन इस
बार स्थिति
अलग थी।
जब भेड़िया
बाड़े के
पास पहुँचा,
तो उसने
देखा कि
बाड़ा बहुत
मजबूत है
और उसमें
घुस पाना
मुश्किल है।
उसने कई
बार कोशिश
की, लेकिन
बाड़ के
काँटों में
उलझ गया।
उसी
समय, राजू
और बाकी
पहरेदारों ने
भेड़िए की
हलचल देख
ली। वे
तुरंत मशालें
लेकर उसकी
ओर दौड़े।
भेड़िया गाँव
वालों की
एकता और
साहस देखकर
डर गया
और भाग
खड़ा हुआ।
भेड़िए की
हार
और
गाँव
की
जीत
भेड़िया
उस रात
के बाद
फिर कभी
गाँव में
नहीं आया।
राजू और
गाँव वालों
की सूझबूझ
और एकता
ने उसे
हारने पर
मजबूर कर
दिया था।
गाँव के
लोग अब
चैन की
नींद सोने
लगे, और
उनके जानवर
भी सुरक्षित
थे।
सीख
इस
कहानी से
हमें यह
सीख मिलती
है कि
अगर हम
मिलकर काम
करें और
डर के
बजाय समझदारी
से समस्याओं
का सामना
करें, तो
कोई भी
मुश्किल हम
पर हावी
नहीं हो
सकती। गाँव
के लोगों
ने राजू
की बहादुरी
और योजना
से यह
साबित कर
दिया कि
एकता में
ही शक्ति
होती है।
निष्कर्ष
भेड़िया
और गाँव
की इस
कहानी में
दिखाया गया
है कि
किसी भी
बड़ी समस्या
का हल
धैर्य, समझदारी
और एकजुटता
से निकाला
जा सकता
है। जब
हम मिलकर
काम करते
हैं, तो
हम सबसे
बड़े डर
का भी
सामना कर
सकते हैं
और उसे
हरा सकते
हैं।
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