कहानी शीर्षक: "कबूतर, मोर और कोयल की सीख"
🌳 जंगल का कोना
एक हरे-भरे जंगल में तीन प्यारे पक्षी रहते थे —
कबूतर: शांत और मिलनसार,
मोर: सुंदर और घमंडी,
कोयल: मीठी आवाज़ वाली, लेकिन थोड़ी चुपचाप रहने वाली।
तीनों हर सुबह पेड़ की सबसे ऊँची शाखा पर मिलते थे।
🗣️ बातों में तुलना
एक दिन मोर ने अपने पंख फैलाते हुए कहा,
"देखो मेरी सुंदरता! सारी दुनिया मुझे देखती है!"
कबूतर बोला, "पर मैं शांति और प्रेम का प्रतीक हूँ। लोग मुझे अपने घरों में पालते हैं।"
कोयल मुस्कराई और कुछ नहीं बोली।
मोर बोला, "कोयल! तू क्यों चुप है? तुझमें क्या खास है?"
कोयल बोली, "मैं कम बोलती हूँ, पर जब बोलती हूँ तो पूरा जंगल सुनता है।"
🎶 फसलों का मौसम
कुछ दिनों बाद बसंत आया।
सारे किसान खेतों में काम कर रहे थे।
कोयल ने अपने मीठे सुरों से सबका दिल जीत लिया।
मोर अपने पंख फैलाकर नाचा, पर कोई रुका नहीं।
कबूतर भी उड़ा, पर उतना ध्यान नहीं गया।
🌟 सीख
अगले दिन मोर ने कबूतर और कोयल से माफ़ी मांगी और कहा,
"सचमुच, हर किसी की अपनी खासियत होती है।
ना कोई छोटा, ना कोई बड़ा —
हर गुण की अपनी पहचान है।"
📖 शिक्षा:
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अपनी सुंदरता पर घमंड नहीं करना चाहिए।
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सादगी, शांति और मधुरता हमेशा दिलों को जीतती है।
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हर किसी में कोई ना कोई खास बात जरूर होती है।
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